ब्रह्मविद्या और आश्रमकर्मों की अपेक्षा: एक गहन दृष्टि
Spiritual Insightsब्रह्मसूत्र ‘सर्वापेक्षा च यज्ञादिश्रुतेरश्ववत्’ इस बात की पुष्टि करता है कि ब्रह्मविद्या की उत्पत्ति में स्ववर्णाश्रमविहित कर्मों का महत्त्व है। हालाँकि, ब्रह्मविद्या फल देने में कर्मनिरपेक्ष मानी जाती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आश्रमकर्मों का अनादर या उपेक्षा की जा सकती है। आश्रमकर्मों की महत्ता शास्त्र और स्मृतियों के अनुसार, ब्रह्मविद्या के मार्ग में स्ववर्णाश्रमविहित […]
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