रोटबलि विधान स्वयं में ही एक पूर्ण अनुष्ठान है। यह अपने भयों, चिंताओं और नकारात्मकताओं को शक्तिशाली दैवीय संरक्षकों के चरणों में समर्पित करने का एक मूर्त कार्य है। यह बलि की तांत्रिक अवधारणा को पुष्ट करता है, जो इसे एक ऊर्जावान आदान-प्रदान के रूप में देखता है। पवित्र अन्न (जो पार्थिव जीवन-ऊर्जा का स्रोत है) को अर्पित करके, साधक देवताओं के सुरक्षात्मक पहलुओं को पोषित और सक्रिय करता है। बदले में, देवता अपनी कृपा प्रदान करते हैं, बाधाओं को दूर करते हैं और भक्त की रक्षा करते हैं।तनाव, अनिश्चितता और अदृश्य चुनौतियों से भरी आधुनिक दुनिया में, यह अनुष्ठान आध्यात्मिक सुरक्षा का एक कवच बनाने का एक ठोस तरीका प्रदान करता है।
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