हमारा महावाक्यों पर महाभाष्य, महावाक्यों पर होने के कारण भाष्य को महाभाष्य नाम दिया है, सभी अद्वैतविरोधी दूषित पक्षों सहित भगवतानन्द के भी निवृत्तिभाष्य का खण्डन।
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